कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
सजग कर दे राष्ट्र को आचार्य है।
गुरु वही जो आत्मपथमय कार्य है।
रीढ़ वह ही लोक की बनता सदा।
कर्मपथ से ना डिगे वह आर्य है।
पं बृजेश कुमार नायक
सजग कर दे राष्ट्र को आचार्य है।
गुरु वही जो आत्मपथमय कार्य है।
रीढ़ वह ही लोक की बनता सदा।
कर्मपथ से ना डिगे वह आर्य है।
पं बृजेश कुमार नायक