करे कोई भरे कोई
पड़ी भारी ये भरपाई , करे कोई भरे कोई
चलन अच्छा नहीं भाई, करे कोई भरे कोई
मिले जैसे को तैसा ही ,यही तो न्याय होता है
तो क्यों ये बनती सच्चाई , करे कोई भरे कोई
न केवल तोड़ती ये दिल चुभोती तीर भी तीखे
करे जग में भी रुसवाई , करे कोई भरे कोई
भला करके भला होगा बुरा करके बुरा होता
कहाँ से रीत पर आई, करे कोई भरे कोई
खुदा ने सोच कर ही कुछ इजाज़त इसकी दी होगी
मगर दिल को नहीं भाई , करे कोई भरे कोई
26-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद