बगीचे में फूलों को
किसी बगिचे में हम फूलों को
खिलते हुए छोड़कर आए है
आज फिर भरी महफिल में हम
काँच के गिलास को तोड़कर आए है
पूछा गया मुझसे कि ठोकरें लगने के बाद भी
तुम्हारी आंखों से आसू क्यों नहीं आए है
हमने कहा जनाब इन आंसुओ को तो हम
पहले ही आग में निचोड़ कर आए है
मनोज तानाण
(Manoj Tanan)