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30 Oct 2021 · 1 min read

करवाचौथ

चंद्रमा देखकर जल चढाती रही
मैं प्रणय गीत सँग गुनगुनाती रही

भाल सिंदूर बिंदी चमकते रहें
मैं दुआ बस ये रब से मनाती रही

मैं पिया की हो लंबी उमर इस लिए
प्यार से निर्जला व्रत निभाती रही

चाँदनी रात में बजते कंगन रहे
पायलें पाँव में छनछनाती रही

भूखी प्यासी मुझे इस तरह देखकर
मेरी चिंता सजन को सताती रही

दूर जब जब सजन काम से ही गए
चाँद को मीत अपना बनाती रही

सुख मिले या हो दुख साथ में रह सदा
‘अर्चना’ प्रेम गंगा बहाती रही

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Likes · 3 Comments · 435 Views
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