Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Aug 2024 · 1 min read

करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।

करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
दृढ़शक्ति एकाग्र मना, लेता नभ को नाप।।

नजर घनी शक्ति प्रचंड, कहते उसको बाज।
करता उच्च उड़ान भर, आसमान पर राज।।

जीवन तपमय बाज का, वरता दृढ़ संकल्प।
निर्णय ले जोखिम भरा, करता कायाकल्प।।

देख चुनौती सामने, होता नहीं निराश।
सूझबूझ संकल्प से, काटे दुख के पाश।।

एक समय जब अंग सब, देने लगें जवाब।
सूझ बड़ी अपनी दिखा, ले आता नव आब।।

चोंच पटक चट्टान पर, देता खुद को चोट।
नयी निकल आने तलक, काढ़े चुन-चुन खोट।।

त्याग-लगन-एकाग्रता, मान बाज से सीख।
पाँच माह भूखा रहे, मरे, न माँगे भीख।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“किंजल्किनी” से

1 Like · 70 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

डर अंधेरों से नही अपने बुरे कर्मों से पैदा होता है।
डर अंधेरों से नही अपने बुरे कर्मों से पैदा होता है।
Rj Anand Prajapati
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
Ajit Kumar "Karn"
कर्मफल
कर्मफल
Rambali Mishra
हिंदी है पहचान
हिंदी है पहचान
Seema gupta,Alwar
कुत्तों की बारात (हास्य व्यंग)
कुत्तों की बारात (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
संवेदनशीलता का रोमांच
संवेदनशीलता का रोमांच
Nitin Kulkarni
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
2780. *पूर्णिका*
2780. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
shabina. Naaz
महाभुजंगप्रयात सवैया
महाभुजंगप्रयात सवैया
Alka Gupta
अबला सबला हो गई,
अबला सबला हो गई,
sushil sarna
महिला प्रतीक है स्वाभिमान का
महिला प्रतीक है स्वाभिमान का
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
प्राणियों में आरोग्य प्रदान करने की पूर्ण शक्ति रखने वाला आं
प्राणियों में आरोग्य प्रदान करने की पूर्ण शक्ति रखने वाला आं
Shashi kala vyas
भला लगता है
भला लगता है
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बड़े वो हो तुम
बड़े वो हो तुम
sheema anmol
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
Shutisha Rajput
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
प्रेम कविता
प्रेम कविता
अंकित आजाद गुप्ता
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
Rajesh Kumar Arjun
दिखता नहीं है कुछ भी,
दिखता नहीं है कुछ भी,
Dr fauzia Naseem shad
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
Manisha Manjari
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
P S Dhami
रात का आलम किसने देखा
रात का आलम किसने देखा
कवि दीपक बवेजा
बुली
बुली
Shashi Mahajan
टीचर्स डे
टीचर्स डे
अरशद रसूल बदायूंनी
हृदय तूलिका
हृदय तूलिका
Kumud Srivastava
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
Chitra Bisht
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
सत्य कुमार प्रेमी
मुझे चाहिए एक दिल
मुझे चाहिए एक दिल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*आठ माह की अद्वी प्यारी (बाल कविता)*
*आठ माह की अद्वी प्यारी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...