करता हूँ, अरदास हे मालिक !
करता हूँ ,अरदास हे मालिक !
तेरे दर पर आया हूँ,
तेरी कृपा से मै जो पाऊ,
जीवन का मेरा प्रसाद बने।
मोह माया भय लोभ क्रोध यह,
शांति मिले तेरा राह अपनाया,
गुरु तुम्ही हो,हे मेरे मालिक!
मै हूँ तेरा एक दास रे !
सुनी है तेरी लिखी सब वाणी,
तेरे दर से गया ना कोई खाली,
परमसत्य है ,तुम ही हो शक्तिशाली,
भर दो झोली है जो खाली।
गुरु रूप में तुम ब्रह्म हो,
सकार रूप में लौकिक शक्ति,
ज्ञान ज्योती है तेरी अद्भुत,
दीप सत्य का मुझमें जला दो।
करता हूँ ,अरदास हे मालिक !
मै हूँ तेरा एक दास रे !
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।