Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

पंखुड़ी गुलाब की

सुबह सुबह हवा के साथ
उड़ते उड़ते मेरे हाथ
जाने कहाँ से आ गई
एक पंखुड़ी गुलाब की

वातावरण में लिख आई
वो पाती सुगंध की
आँगन में खेल गई
आँख मिचौली रंग की
उसने कीमत बढ़ा दी
हवा के बहाव की
जाने कहाँ से आ गई
एक पंखुड़ी गुलाब की

बहते विचारों को दे रही
एक कोमल विराम
भावनाओं को दे रही
एक नया आयाम
मानो भूमिका बन रही हो
एक नई किताब की
जाने कहाँ से आ गई
एक पंखुड़ी गुलाब की

जागे सभी तितली भंवर
काँटे भी हो गए सतर्क
टूट न जाए तस्वीर
इस सुंदर ख्वाब की
जाने कहाँ से आ गई
एक पंखुड़ी गुलाब की

Language: Hindi
2 Likes · 47 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ख्याल........
ख्याल........
Naushaba Suriya
अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
Anil Mishra Prahari
मुझे
मुझे "कुंठित" होने से
*Author प्रणय प्रभात*
"ऐसा है अपना रिश्ता "
Yogendra Chaturwedi
मेरे ख्वाब ।
मेरे ख्वाब ।
Sonit Parjapati
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
दिल
दिल
Neeraj Agarwal
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
भूखे भेड़िये हैं वो,
भूखे भेड़िये हैं वो,
Maroof aalam
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
तस्वीर!
तस्वीर!
कविता झा ‘गीत’
यूँ इतरा के चलना.....
यूँ इतरा के चलना.....
Prakash Chandra
चन्द्रयान अभियान
चन्द्रयान अभियान
surenderpal vaidya
"Sometimes happiness and peace come when you lose something.
पूर्वार्थ
नजर  नहीं  आता  रास्ता
नजर नहीं आता रास्ता
Nanki Patre
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
Manisha Manjari
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
अहसान का दे रहा हूं सिला
अहसान का दे रहा हूं सिला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
23/110.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/110.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*घड़ा (बाल कविता)*
*घड़ा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
चाय
चाय
Rajeev Dutta
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
बेकरार दिल
बेकरार दिल
Ritu Asooja
आदिकवि सरहपा।
आदिकवि सरहपा।
Acharya Rama Nand Mandal
वाचाल सरपत
वाचाल सरपत
आनन्द मिश्र
पूछी मैंने साँझ से,
पूछी मैंने साँझ से,
sushil sarna
Good morning 🌅🌄
Good morning 🌅🌄
Sanjay ' शून्य'
जरा विचार कीजिए
जरा विचार कीजिए
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पृथ्वी
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...