कमाल करते है
सुना है जो लोग कुछ नही करते वो कमाल करते है।
चुप रहने से बेहतर है कि चलो कुछ सवाल करते है।।
सत्ता हासिल होने पर भी सरकारें करती नहीं कुछ,
वही विपक्ष में जब तक रहते हैं तो बवाल करते है।।
राजनीतिक दलें मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँट-बाँट कर,
महंगाई की मार से आम जनता का बुरा हाल करते है।।
सरकारें बड़े-बड़े काम तो बस कागजों पर करती हैं,
असलियत में तो ये साड़ी फाड़कर रुमाल करते हैं।।
जब तक उल्लू सीधा न हो आगे-पीछे दौड़ते रहेंगे,
खिला-पिला के फिर एक दिन बकरे को हलाल करते है।।
अत्यधिक चतुर जब लगाते है बहुत ज्यादा दिमाग,
अक्सर सोने देने वाली मुर्गी खोकर मलाल करते है।।
जो दशकों से भ्रम फैलाकर सबको गुमराह करते रहे,
अफसोस! लोग उन्हें अपना समझ इस्तकबाल करते है।।
ताउम्र सबकुछ लुटाकर कमाते रहे रिश्तों की पूंजी,
वही रिश्ते आस्तीन में खंजर लेके हमें कंगाल करते है।।
जो व्यक्ति ठोकर खाकर भी कोई सबक नही सीखते,
ऐसे लोग अपनी ज़िंदगी को पल-पल बदहाल करते है।।
ज़िंदगी के सफर में मिलते है सैकड़ों लोग ‘सोनल’
कुछ हमें ग़मगीन, और कुछ खुशहाल करते है।।