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6 Aug 2020 · 1 min read

कभी सोचता हूँ

कभी सोचता हूँ दीपक बनूँ
किसी घर को रौशन करूँ

कभी सोचता हूँ फूल बनूँ
किसी चमन में महका करूँ

कभी सोचता हूँ सितारा बनूँ
सदा आकाश में चमका करूँ

कभी सोचता हूँ वृक्ष बनूँ
कड़ी धूप में ठंडी छाया करूँ

कभी सोचता हूँ बादल बनूँ
प्यासी धरती पे बरसा करूँ

कभी सोचता हूँ सूरज बनूँ
धूप बनके जग में फैला करूँ

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 473 Views
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