कभी राह में
कभी राह में टकरा गए गर
मिलना हमसे अजनबी बन कर
ना हॅसना, ना बीते पल याद दिलाना
गर ये ना कर सके तो कतरा कर निकल जाना
थी कभी नरमी रिश्तों में
इस बात को गुजरे हो गया जमाना
उस दौर की कहानी कुछ अलग थी
अलग है इस दौर का फ़साना
चित्रा बिष्ट