Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2017 · 2 min read

कभी ना सताऊंगा

कभी ना सताऊंगा
००००००००००००
कवि बनने की ललक चर्राया था
किन्तु उसी वक्त जिम्मेदारियों का बोझ भर्राया था,
मै इस पथ कुछ और दूर जा न सका
अपने मन की व्यथा किसी को सुना न सका
समय चलता रहा मैं रुका रहा
परिस्थितियों के सम्मुख
नत्मस्तक मैं झुका रहा।
मैं सोचता रहा
कवि सम्मेलन में मैं भी जाऊं
अपनी दो-चार कविताएं वहां सबको सुनाऊं
किन्तु जाता तो जाता कैसे
वहाँ किसीको मैं जानता नही
सख्सियत ऐसी की हमें कोई पहचानता नहीं।
आज पहचान वाले को ही
जगह और मान मिलता है,
योज्ञता हो या नादारद
फिर भी नाम और सम्मान मिलता है,
जितनी ऊंची दुकान उतने मीठे पकवाना
ऐसा ही है मैने सुन रखा है
इसी लिए तो इस नाकामयाबी के भवर से दूर
अपने लिए एक आशीयाना चून रखा है
आप सब से सुमधुर स्नेह के धागे से
एक स्वार्थ रहित निर्मल रिश्ता बुन रखा है।
वस इसिलिए रोज आपके सम्मुख आते है
अपने मन की बात भाव सहित नित्य ही
हम आप तक पहुचाते है।
बुरा न मानीयेगा लिखना मेरे लिए
सांस लेने जितना जरुरी है,
मित्र हूँ आपका अतः मुझे झेलना
आप की भी तो मजबूरी है।
झेलते जाईये पुण्य के भागीदार होंगे
कम से कम जोरु की गुलामी से अच्छा
एक मित्र के तो वफादार होंगे।
आपका यह एहसान हम कदापि न भुलायेंगे
यकीन जानीये गर मौका मिला कभी
किसी कवि सम्मेलन में
तो आपका मुझे झेलने पर
निस्संदेह दो-चार पंक्ति अवश्य गुनगुनायेंगे।
बश प्रार्थना कीजै मुझे यह मौका
केवल एक बार मिल जाये
मंच पे खड़ा होऊं और पाव न डगमगाये,
मेरे कविता के माध्यम से मुझे जानने वाले
कुछ लोग मुझे मिल जाये।
फिर कसम से आप सबको ना पकाऊंगा
एक जन्म क्या जन्म-जन्मान्तर तक
कभी किसी को ना सताऊंगा।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
9560335952
दिल्ली
26/4/2017

Language: Hindi
474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
*हम हैं दुबले सींक-सलाई, ताकतवर सरकार है (हिंदी गजल)*
*हम हैं दुबले सींक-सलाई, ताकतवर सरकार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
surenderpal vaidya
लोग कह रहे हैं आज कल राजनीति करने वाले कितने गिर गए हैं!
लोग कह रहे हैं आज कल राजनीति करने वाले कितने गिर गए हैं!
Anand Kumar
संघर्ष से‌ लड़ती
संघर्ष से‌ लड़ती
Arti Bhadauria
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
तन तो केवल एक है,
तन तो केवल एक है,
sushil sarna
हुई बरसात टूटा इक पुराना, पेड़ था आख़िर
हुई बरसात टूटा इक पुराना, पेड़ था आख़िर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
इश्क में  हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
इश्क में हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं तेरा कृष्णा हो जाऊं
मैं तेरा कृष्णा हो जाऊं
bhandari lokesh
**मन में चली  हैँ शीत हवाएँ**
**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
झूठी हमदर्दियां
झूठी हमदर्दियां
Surinder blackpen
श्रीराम गाथा
श्रीराम गाथा
मनोज कर्ण
बंटते हिन्दू बंटता देश
बंटते हिन्दू बंटता देश
विजय कुमार अग्रवाल
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
Neeraj Agarwal
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Sakshi Tripathi
🌸दे मुझे शक्ति🌸
🌸दे मुझे शक्ति🌸
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
शेखर सिंह
नये अमीर हो तुम
नये अमीर हो तुम
Shivkumar Bilagrami
"चक्र"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
ये 'लोग' हैं!
ये 'लोग' हैं!
Srishty Bansal
23/52.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/52.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते हैं
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते हैं
कवि दीपक बवेजा
सम्मान तुम्हारा बढ़ जाता श्री राम चरण में झुक जाते।
सम्मान तुम्हारा बढ़ जाता श्री राम चरण में झुक जाते।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...