– कभी कुछ तो कभी कुछ –
– कभी कुछ तो कभी कुछ –
कभी अपने तो कभी पराए होते है,
कुछ खट्टे तो कभी मीठे होते है,
कभी दुख तो कभी सुख आता है,
जीवन का यह चक्र यू ही चलता जाता है,
समय की घड़ी सभाले नही संभलती,
वक्त है जो बीतता ही जाता है,
वक्त की मार जो झेलता है आदमी,
वो परिपक्व व सहनशील हो जाता है,
आदमी लड़ता है जंग और जीत जाता है ,
कभी कुछ तो कभी कुछ होता है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान