कब आओगे राम
◆सरसी/कबीर/सुमंदर छंद [सम मात्रिक]◆
विधान ~[ 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21,कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत]
(1)
दिन खेला फिर रात सो गयी
जागी चंचल भोर
खुले नैन जब उठी यशोदा
चितवत नंदकिशोर
किलकारी कर कान्ह बुलावत
दे देकर करताल
गोद उठा फिर कहती मैया
ये है मेरो लाल
(2)
रावण जनम रहे हैं घर-घर
चरम पर अत्याचार
शोकवाटिका बैठी सीता
पथ को रही निहार
धर्मयज्ञ पर पड़ा है संकट
छिड़ा महासंग्राम
धनुष-बाण लेकर धरती पर
कब आओगे राम