“कथा” – व्यथा की लिखना – मुश्किल है
सिर्फ ये मेरी ही बात नहीं हैं
ये उतनी ही तेरी भी है
कथा व्यथा की लिखना
मुश्किल है
क्या कहूँ ? कितना कहूँ ?
अनुभव के अथाह से
चंद लफ्ज़ों में कुछ कह पाना
मुश्किल है
किस किस की बात लिखें हम
कागज़ भी कम पड़ जाएंगे
कम पड़ जाये स्याही भी
जिनके भी हाथ
मेरे लहू के रंग से
सने भरे हैं
वो भी तो मेरे अपने ही थे
शब्दकोष में
उतने शब्द नहीं हैं
गुजरे – गुजारे की
गाथा लिखना मुश्किल है
………. अतुल “कृष्ण”