“कथनी-करनी”
“कथनी-करनी”
कथनी है वाचाल बड़ी
करनी रहती मौन,
करनी करके दिखलाती
इसे न जाने कौन।
कथनी-करनी जानी दुश्मन
होते कभी न एक,
लगे इसमें शक अगर तो
खुद महसूस के देख।
“कथनी-करनी”
कथनी है वाचाल बड़ी
करनी रहती मौन,
करनी करके दिखलाती
इसे न जाने कौन।
कथनी-करनी जानी दुश्मन
होते कभी न एक,
लगे इसमें शक अगर तो
खुद महसूस के देख।