कठपुतली सरकार (हास्य कविता)
कठपुतली सरकार (हास्य कविता)
गठबंधन के ओझरी में
अहाँ के हम ओझरेने छी
एखने हमर समर्थन आपस आ
मिनिट भरी में खसि पडत कठपुतली सरकार।
राजनैतिक स्वार्थ दुआरे
अहाँ के बाहरी समर्थन भेटि गेल मुदा
उहो नांगैर सुरैर के भगत आ
फेर अधमरू भ जायत कठपुतली सरकार।
गठबंधन में समर्थन देने छि
मनमाफिक मंत्रालय चाही
बेसी छिडियाब त कहि छी
एखने हमर समर्थन आपस।
खाली अपने पार्टिक स्वार्थ देखब
त गठबंधन कोना के चलत?
विपक्षी पार्टी हमरा द रहल अछि हकार
चिंता में डूबल कठपुतली सरकार।
अहाँ जे कहबई सैह हेतई
गठबंधन में अहाँ बनल राहू
अहींक समर्थन पर जान बांचत
नहि त सत्ताविहीन हम बेकार।
फुंसियाहिंक कुर्सी टा पर बैसल छी
एक्को टा फैसला अपने मने नहि
आलाकमान के ईशारा पर
सभटा काज हम करैत छि।
हमरा सभ मिली नचा रहल अछि
चुपेचाप डरे हम नचैत रहित छी
की कहू छी हम बेबस आ लाचार
होइए डर हम छि कठपुतली सरकार।
जोड़-तोड़ के राजनीति में
दशक जनता तबाह भ गेल
मुदा अहाँ के कोन फिकीर अछि?
अहाँ छि कठपुतली सर्कार।।
कवि- किशन कारीगर
आकाशवाणी (दिल्ली)