औरत
औरत
खुदा का नक्शा औरत, बेमिसाल,बेहिसाब, लाजवाब
अदायें,नखरे,नज़ाकत,ज़लवा,किसी को रूप का शबाब
जग़ मे भेजा तितलियों सा रस,रंग,माधुर्य से भरा नकाब
कत्लेआम मचाये बिन हथियार,दिखाये झूटे-सच्चे ख़्वाब
दिमाग पर नशा सा,मन भ्रमित सा,दिल का नहीं जवाब
उम्र का तक़ाज़ा,बिन उम्र लिहाज़,आदतन जैसी शराब
कुछ को शौक़, कुछ की बेबसी पीना, पी के बदहवाश
उनके ज़िस्मानी नुमाइश से इमान खोता होश-हवाश
नागीन सी बल खाये,नीली आँखों में डुबाये,दिल नादान
जिस में जितनी प्यास भड़की, पाने को उतना परेशान
नज़रों से बचे,नज़रें मिलाकर,नज़रें चुराकर करे इशारा
नज़रों से गिरे,नज़रें उठाये,नज़र से नज़र का खेल सारा
खुदा तुम्हे नहीं लगता की सृष्टी को चलाने बनाई औरत
मेरे मोल्ला ! औरत अक्सर कैसे बन जाती है कयामत
उन को क्या कहे जीने का मकसद,या मौत का सामान
माता, बहन,पत्नी,रिश्तों की छोडें,दिखे भोग समाधान
सृष्टी का भार हटाने रची थी शायद औरत की रचना
कोमल, सहज़,सरल,निर्मल, ह्रदय,रस, कृपा-करुना
सजन