Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2021 · 1 min read

औरत है ना !

सुबह उठकर सबके लिए भोजन पकाएगी,
खुशबू से भले ही उसकी क्षुधा जाग जाएगी,
एक औरत है ना !
सबके बाद ही खाएगी l

जब लगती होगी भूख,
मन मे उठती होगी हूक,
सोचती हूँ होकर दंग,
है रोटी पर भी प्रतिबंध !

फ़र्ज़ अपना समझकर वो प्रतीक्षा कर लेगी,
औरत है ना !
सबके बाद ही खाएगी ।

भूख पर भी इनका
पहला अधिकार है,
संग औरत के खाने से
घटता इनका मान है,

अपमान सहकर भी वो जिंदा रहेगी,
औरत है ना !
सबके बाद ही खाएगी ।

माँ के बने सारे पकवान;
पर उसका हक था समान ,
उतरते ही सब्ज़ी जो ,पहले खाती थी;
लाडली माँ की, वो कहलाती थी ।

सपने में भी उसके; यह बात न आई होगी !
अरे ! औरत है ना !
सबके बाद ही खाएगी ।

✍️ज्योती

Language: Hindi
7 Likes · 9 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अगर मुझे तड़पाना,
अगर मुझे तड़पाना,
Dr. Man Mohan Krishna
"अन्दर ही अन्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
अवसर
अवसर
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नयी भोर का स्वप्न
नयी भोर का स्वप्न
Arti Bhadauria
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
प्रेमदास वसु सुरेखा
आप सच बताइयेगा
आप सच बताइयेगा
शेखर सिंह
My Chic Abuela🤍
My Chic Abuela🤍
Natasha Stephen
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
शिव अराधना
शिव अराधना
नवीन जोशी 'नवल'
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
प्यार और विश्वास
प्यार और विश्वास
Harminder Kaur
रमेशराज के 12 प्रेमगीत
रमेशराज के 12 प्रेमगीत
कवि रमेशराज
बेहतर और बेहतर होते जाए
बेहतर और बेहतर होते जाए
Vaishaligoel
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
समझ
समझ
अखिलेश 'अखिल'
तुम
तुम
Punam Pande
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मौन की चुभन*
*मौन की चुभन*
Krishna Manshi
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
"तुम्हारी गली से होकर जब गुजरता हूं,
Aman Kumar Holy
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
जिंदगी बस एक सोच है।
जिंदगी बस एक सोच है।
Neeraj Agarwal
कौन यहाँ पढ़ने वाला है
कौन यहाँ पढ़ने वाला है
Shweta Soni
" बस तुम्हें ही सोचूँ "
Pushpraj Anant
Loading...