औरत बुद्ध नहीं हो सकती
औरत बुद्ध नहीं हो सकती।
क्योंकि उसमें हौंसला नहीं होता,
सो रहे पुत्र को छोड़कर जाने का।
या फिर समाज की रवायतों के
विरुद्ध जाने का।
दहलीज़ से बाहर पैर रखते ही वो
चरित्र हीन हो जाती है
चाहे उसको ज्ञान की प्राप्ति हो भी जाए
तो भी उसे बुद्ध नहीं माना जायेगा।
औरत कृष्ण भी नहीं हो सकती
क्योंकि बहुत से मर्दों के संग
रास नहीं रचा सकती।
वो बेगैरत,बदचलन ही मानी जायेगी
चाहे वो कितनी ही द्रोपदियों को
चीर हरण से बचा ले
वो कृष्ण नहीं हो सकती
औरत सीता भी नहीं हो सकती
जो बार बार परीक्षा दे
अपने पवित्र होने की
और अंत में भगवान के हाथों
दुखी हो
समा जाये धरती की आगोश में
क्योंकि समाज आज भी
औरत की पवित्रता को लेकर
चिंतित हैं।
न कि औरत की सुरक्षा को लेकर।
इसलिए वो सीता भी नहीं हो सकती
हां
वो मां ,बेटी बहू पत्नी
सब-कुछ हो सकती है
बस वो
संत नही
भगवान नहीं
सुरक्षित नहीं
सुरिंदर कौर