ओ मां के जाये वीर मेरे…
ओ मां के जाये वीर मेरे,
तू क्यों नहीं सुनता बात मेरी,
क्यों मुझे चिढ़ाता रहता है ?
तनिक सोच, मैं हूं बहिन तेरी,
माना कि कभी कभी बातों से,
अम्मा तेरी बन जाती हूं,
पर जब भी तू कुछ कहता है,
तेरी बात मान भी जाती हूं,
है ज्ञात मुझे तेरा मेरा द्वंद्,
तेरे-मेरे प्यार का हिस्सा है,
मैं बहिन तेरी नटखट सी हूं,
तू भाई मेरा अल्हड़ सा है।
तू चोटी खींचना मत मेरी,
मैं डन्डा नहीं दिखाऊंगी,
तू मुझे डांटना मत बिल्कुल,
मैं आंखें नहीं दिखाऊंगी,
वैसे तो हम हैं भाई बहन
पर मीत बड़े ही अच्छे हैं,
दुनिया हमको कुछ भी बोले,
हम दिल से बिल्कुल बच्चे हैं,
है याद मुझे बचपन में मैंने,
तेरी उंगली पकड़ चलना सीखा,
मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी,
तुझसे मैंने हंसना सीखा,
नहीं भूल पाएंगे भाई,
जो तुमने उपकार किये,
मैं हूं प्रिय सबसे तेरे लिए,
तुम भी प्रिय सबसे मेरे लिए।
✍️ सुनील सुमन