“ओखली”
“ओखली”
ओ ओ कहते मत फ़िरो
ओ से होती ओखली,
लकड़ी की ही बनी होती
मगर रहती खोखली।
ओखली में सिर दिया तो
मूसल से क्या डरना,
समय पर सारा काम करो
पछताओगे जी वरना।
“ओखली”
ओ ओ कहते मत फ़िरो
ओ से होती ओखली,
लकड़ी की ही बनी होती
मगर रहती खोखली।
ओखली में सिर दिया तो
मूसल से क्या डरना,
समय पर सारा काम करो
पछताओगे जी वरना।