ऐ! दर्द
मेरी जुबां पे तेरा नाम आया,
बेइंतहां दर्द में आराम पाया।
सुकूँ मिला जब देखा तुझको,
किया दीदार लगा खुदा का पैगाम आया ।
इस्तकबाल तेरा दिल की दहलीज पर,
महबूब याद आता है तेरी दस्तक से ।
ऐ!दर्द तुझे भुलाना कमफहमी होगी मेरी
तेरे बगैर आना जाना मुकम्मल नहीं होता ।
सतीश सृजन, लखनऊ.