ऐसे होते हैं पापा
बच्चों में जो घुल मिल जाएँ;
तोहफ़े लाएँ, सैर कराएँ;
समझाएँ, कभी डाँट लगाएँ;
ज्ञान की बातें भी बतलाएँ;
किस ने उनके प्यार को मापा?
ऐसे होते हैं पापा…………..
हर खर्चे का बोझ उठाएँ;
नन्हे का घोड़ा बन जाएँ;
और काँधे पर उसे उठाएँ;
गुड़िया को बाहों में झुलाएँ;
किसने उनके प्यार को मापा?
ऐसे होते हैं पापा………….
किशोरों की उलझन सुलझाएँ;
उनको सच्ची राह दिखाएँ;
कभी खेलें और कभी पढ़ाएँ;
बड़े होने पर दोस्त बनाएँ;
किसने उनके प्यार को मापा?
ऐसे होते हैं पापा………….
©पल्लवी ‘शिखा’, दिल्ली।