ऐसे चलते हो क्यों।
तुम चलती हो तो
पायल ऐसे बजते हैं, क्यों।
हर पग में मेरा ही नाम निकले
ऐसे स्वर मिलते हैं, क्यों।
अगर प्यार नहीं है,हमसे
तो ऐसे चलते हो,क्यों।
है प्यार तुमको हमसे अगर
तो ऐसे शरमाते हो, क्यों।
अगर नहीं यह बात हकीकत
तो सपनों में आते हो,क्यों।
चलो जरा तु संभल संभल कर
ऐसे चलके जलाते हो, क्यों।
संजय कुमार✍️✍️