*ऐसी हो दिवाली*
ऐसी न हो दिवाली, जिसमें दीप जले खाली।
दीपों के साथ-साथ हृदय हो प्रफुल्लित,
गरीबों की भरो थाली, ऐसी हो दिवाली।।१।।
रद्द करो पटाखे, इत्यादि का प्रयोग।
घर-घर कर लो सफाई, न रहे नाली।
हर बार से श्रेष्ठ हो,इस बार दिवाली।।२।।
प्रेम भाव बढ़े भाई चारा, किसी से न तुम करो किनारा।
बिना सहायता न रहे, गरीब असहाय कंगाली।
छोड़ दो दुर्व्यवहार न दो गाली,ऐसी हो दिवाली।।३।।
पुराना रिवाज छोड़ दो आज,जुआ का जो था राज।
नवोदित विचारों की, चारों ओर छाये हरियाली।
चारों ओर
हो खुशहाली, ऐसी हो दिवाली।।४।।
अपना लो महापुरुषों का गुण, भर लो हृदय खाली।
एक दीपक उनके लिए जले,जो करते रखवाली।
खुद ऐसी रहेगी, दुष्यन्त कुमार की दिवाली।।५।।