ऐसा भी नहीं
ऐसा भी नहीं कि कोई
रंजिश है उन्हें हमसे,
दुश्मनों से वफ़ादारी
बस निभानी थी उन्हें ।।
यूँ तो कोई इरादा नहीं था
वेवफ़ाई का उनका,
बस कसम तोड़ने की रस्म
निभानी थी उन्हें ॥
वो किसके पाले में गये
यक़ीनन पता था उनको,
जरूर इसी बात की धौंस
दिखानी थी उन्हें ॥
जिस वक़्त दर्द पूरे
शबाब पे था,
ठीक उसी वक़्त चोट
दु:खानी थी उन्हें ॥
@ नील पदम्