ऐसा भी कहाँ, के दिल तोड़ के रो लेता
ऐसा भी कहां, के दिल तोड़ के रो लेता,
जरा मुस्कुराता, और रो लेता,
कोई बात रखता, दिलासा देता, दिल को,
दिल, हाल ए दिल कहता, रो लेता,
हालात ए इंतजार, इंतजार ही जाने,
मंतज़िर से पूछो, तो रो लेता,
सांसे दिल थम सी गई थी,
ये आलम कुछ देर रहता, जमाना रो लेता,
मेरे बगैर वो कहां खुश होंगें,
जो उनकी खुशी पे मैं रो लेता,
अजीजों ने कहां है, आरजू ए विशाल न रख,
गर होती आरजू, तो कब का हो लेता,
उनके दिल का बयान है “साहिब”,
वह नहीं होता, तो अल्लाह को प्यारा हो लेता,