ऐसा इजहार करू
सोचू किस तरह, तुझपे नशीली वार करू
कि हो जाए मोहब्बत, ऐसा इजहार करू।
देखू दर्पण में तुझे मै, सज रही हो तुम
देखू आंगन मे तुझे मै टहल रही हो तुम
तेरे पैरों से आए, जब पायल की खनक
तेरे हाथो से आए जब कंगन कि खनक
मै तो सुनकर के पल में ही मचलने लगता
जैसे खोए यार किसी का, मिल गया हो पता
कितना आतुर मै होकर, तेरा इंतजार करू।
कि हो जाए मोहब्बत, ऐसा इजहार करू।
मुझे मानो या ना मानो, तेरा दिवाना है
अपनी धड़कन पे दे दिया, आशियाना है
कभी आकर रहा करो तू मेरी धड़कन में
कभी उलझा लिया, करो तू अपनी उलझन में
बड़ा अच्छा तेरी उलझन मे, मुझे लगता है
जब तेरी याद का नशा, मुझमें चलता है ।
करू कैसा सफर की मैं, तेरा दीदार करू।
✍️ बसंत भगवान राय