एहसास – ए – दोस्ती
वक्त आने पर अपनों और गैरों की
पहचान होती है ,
हमदर्द और ख़ुदगर्ज़ के बीच फ़र्क की
पहचान होती है,
वो अजनबी जो मुसीबत में साथ दे ,
दोस्ती के निबाह से मुकर गए
उस दोस्त से बेहतर है ,
दोस्ती का एहसास जो ना जगा पाए ,
वो दोस्ती कमतर है ,
ज़िंदगी में चन्द ऐसे मुश्किल मरहले
दर- पेश आते हैं ,जब सच्ची दोस्ती का
इल्म़ होता है ,
वरना ज़िंदगी भर दोस्ती के एहसास का
भरम ज़िंदा रहता है।