Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 2 min read

एश्वर्य

कमलपत्राक्ष !
आकांक्षी हूँ
आपके पूर्ण रूप दर्शन का
ओह ! तो देख
मेरे एक ही रूप में-
अष्ट वसुओं, ग्यारह रूद्रों
दोनों अश्विनी कुमारों और मरूतों को भी
देख गुडाकेश !
पर कैसे देख पाएगा ?
अपने प्राकृत नेत्रों से
तो ग्रहण कर दिव्य नेत्र
और दर्शन कर
इन दिव्य नेत्रों से
मेरे एकत्व शरीर में
सम्पूर्ण जगत् का.

कैसा था महायोगेश्वर हरि का
परम् एश्वर्यरूप ?
सहस्त्र सूर्यों की संगठित प्रभा
बौनी थी ‘हरि’ की प्रभा से
अनन्त विस्तार
अनन्त बाहु
सबकुछ तो था अनन्त
विस्मय से पूर्ण
रोमांचकारी.
देव !
मैं देख रहा हूँ
आपके एकात्म शरीर को
समा गए हैं जिसमें समस्त देवता
ग्रह-नक्षत्र,
और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही,
सभी विस्मित हैं
भयाक्रांत हैं
ऐसे दिव्यरूप के दर्शन से.

क्या है ?
‘घोररूप’ के सृजन का रहस्य
यह घोररूप क्या ?
लोकों का नाश करने वाला
क्या ‘काल’ है ?
उत्तर आता है-
युद्धभूमि में
सभी ग्रास बन चुके हैं
इस काल के
सब प्राप्त हो चुके हैं
‘मृत्यु’ को
पार्थ !
तुम तो निमित्त मात्र हो
सव्यसाची ! उठो !
सब मृत हो चुके हैं
पहले ही
द्रोण, भीष्म, कर्ण
और अन्य समस्त योद्धा भी
सब मारे जा चुके हैं
मेरे द्वारा
अपराधी जो ठहरे
असत्य को प्रतिष्ठित करने जो उतरे
बस,
मृत को ही तो मारना है
जिसे काल ने ग्रास बना लिया हो
मृत्यु को प्राप्त हो चुका हो
उसे मारने में
नृशंसता की गंध कहाँ ?

गाण्डीवधारी समझ गया रहस्य
परमसत्ता का
विराट रूप का
और याचना करने लगा
उसी चतुर्भुज रूप के लिए
जिसे उसने देखा था
विराट स्वरूप के पहले
अपनी प्राकृत नयनों से

Language: Hindi
1 Like · 147 Views
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all

You may also like these posts

4863.*पूर्णिका*
4863.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
जिंदगी में सिर्फ हम ,
जिंदगी में सिर्फ हम ,
Neeraj Agarwal
महाभारत नहीं रुका था
महाभारत नहीं रुका था
Paras Nath Jha
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"रंग और पतंग"
Dr. Kishan tandon kranti
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं(मुक्तक )
हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं(मुक्तक )
Ravi Prakash
विदाई गीत
विदाई गीत
संतोष बरमैया जय
🤲
🤲
Neelofar Khan
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शराब की वज़ह से
शराब की वज़ह से
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
Neelam Sharma
हकीकत मोहब्बत की
हकीकत मोहब्बत की
हिमांशु Kulshrestha
हां मैं एक मजदूर हूं
हां मैं एक मजदूर हूं
डॉ. एकान्त नेगी
दोहे
दोहे
seema sharma
चुकंदर
चुकंदर
Anil Kumar Mishra
तुझे बंदिशों में भी अपना राहगुज़र मान लिया,
तुझे बंदिशों में भी अपना राहगुज़र मान लिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
विषय - स्वाधीनता
विषय - स्वाधीनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उन्नीसवाँ दिन
उन्नीसवाँ दिन
Shashi Mahajan
वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,
वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,
Jyoti Roshni
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
उमा झा
आपसे कोई लड़की मोहब्बत नही करती बल्की अपने अंदर अंतर्निहित व
आपसे कोई लड़की मोहब्बत नही करती बल्की अपने अंदर अंतर्निहित व
Rj Anand Prajapati
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय*
गहराई जिंदगी की
गहराई जिंदगी की
Sunil Maheshwari
लाइब्रेरी और उनकी किताबो में रखे जीवन
लाइब्रेरी और उनकी किताबो में रखे जीवन
पूर्वार्थ
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
बस जिंदगी है गुज़र रही है
बस जिंदगी है गुज़र रही है
Manoj Mahato
Loading...