एटम बम
जीवन के रंगमंच पर
अभिनय से पूर्व……
आओ सँवार दूँ प्रिय !
साकर करके
निज भावों को
अपने हाथों से ||
पहना दूँ ………
गजरा तेरे बालों में !
झुमके तेरे कानों में !
लगा दूँ ……….
कुमकुम का टीका भाल पर !
काजल की बिंदी गाल पर !
भर दूँ…………
तेज तेरी आँखों में !
महक तेरी साँसों में !
ताकि मैं और तुम….
एकाकार होकर !
प्रतिनिधित्व करें
जमाने में “हम” का !
और बता दे शक्ति….
इस “हम” की !
“दीपशिखा” बनकर
कि हम हम हैं !
अलग हुए……
तो कम हैं |
नहीं तो एटम बम हैं ||
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डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”