Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2017 · 1 min read

एक स्त्री मन की संवेदना- लघु काव्य

एक स्त्री मन की संवेदना- लघु काव्य

“इतनी भी नहीं तन्हा मैं
कि तुम्हें भी याद न कर पाऊँ
दूर क्षितिज पर ढूंढ रहीं
तुम्हारी ही परछाईं
देखो तो वहाँ जहां पर
मिल जाते हैं धरती आकाश
कितना सुरभित हो जाता है
ये सारा जग और आकाश।“

“I am not so lonely
That I cannot remember you
I am searching far in the horizon
An image of yours
Just look at that far far corner
Where the Earth and Sky meets
Creating an aromatic allurement
In the entire world and the sky.”
Ravindra K Kapoor
31st Dec. 2016

Language: Hindi
363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravindra K Kapoor
View all
You may also like:
"बेजुबान का दर्द"
Dr. Kishan tandon kranti
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
मित्र कौन है??
मित्र कौन है??
Ankita Patel
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Love yourself
Love yourself
आकांक्षा राय
प्रिय
प्रिय
The_dk_poetry
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
आर.एस. 'प्रीतम'
गुलाब
गुलाब
Satyaveer vaishnav
💐प्रेम कौतुक-207💐
💐प्रेम कौतुक-207💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
Paras Nath Jha
मेरी शायरी
मेरी शायरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वैसा न रहा
वैसा न रहा
Shriyansh Gupta
"दोस्ती का मतलब"
Radhakishan R. Mundhra
औरत की नजर
औरत की नजर
Annu Gurjar
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
सरहद पर गिरवीं है
सरहद पर गिरवीं है
Satish Srijan
सुविचार
सुविचार
Sarika Dhupar
पत्थर (कविता)
पत्थर (कविता)
Pankaj Bindas
2463.पूर्णिका
2463.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
किसी पर हक हो ना हो
किसी पर हक हो ना हो
shabina. Naaz
अब कभी तुमको खत,हम नहीं लिखेंगे
अब कभी तुमको खत,हम नहीं लिखेंगे
gurudeenverma198
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
चक्षु द्वय काजर कोठरी , मोती अधरन बीच ।
चक्षु द्वय काजर कोठरी , मोती अधरन बीच ।
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
sushil sarna
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
*नज़्म*
*नज़्म*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Bhagwan sabki sunte hai...
Bhagwan sabki sunte hai...
Vandana maurya
जिनके नौ बच्चे हुए, दसवाँ है तैयार(कुंडलिया )
जिनके नौ बच्चे हुए, दसवाँ है तैयार(कुंडलिया )
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
Loading...