*एक सैनिक की जुबानी*
.हम दोनों ने 18 की उम्र में घर छोड़ा,
तुमने JEE पास की
मेने Army के लिए Test पास की
तुम्हे IIT मिली,
मुझे Army
तुमने डिग्री हांसिल की,
मेने कठोर प्रशिक्षण,
तुम्हारा दिन सुबह 7 से शुरू होकर शाम 5 खत्म होता
मेरा सवेरे 4 बजे से रात 9 बजे तक और कभी कभार 24 घंटे…
तुम्हारी कनवोकेशन सेरेमनी हुई,
मेरी नियुक्ति हुई,
सबसे बेहतर कंपनी तुम्हे लेकर गयी और सबसे शानदार पैकेज मिला,
मुझे कंधो पर regiment ke naam के साथ पलटन ज्वाइन करने का आदेश मिला,
तुम्हे नोकरी मिली,
मुझे जीने का तरीका,
हर सांझ तुम परिवार से मिलते,
मुझे उम्मीद रहती की जल्द मिलूँगा,
तुम हर त्यौहार उजाले और संगीत में मनाते,
मैं अपने commander संग बंकर में,
हम दोनों की शादी हुई…..
तुम्हारी पत्नी रोज तुम्हे देख लिया करती,
मेरी पत्नी बस मेरे जिन्दा रहने की आस करती,
तुम्हे बिजनेस ट्रिप पर भेजा गया,
मुझे लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल पर भेजा गया,
हम दोनो लोटे ……
हम दोनों की पत्नियां आंसू नहीं रोक पाई….
लेकिन….
तुमने उसके आंसू पोंछ दिए,
मैं नहीं पोंछ पाया,
तुमने उसे गले लगा लिया,
मैं नहीं लगा पाया,
क्यूंकि मैं एक तिरंगे में लिपटे हुए कॉफिन के अन्दर छाती पर मैडल लेकर लेटा हुआ था,
मेरे जीने का तरीका ख़त्म हो गया…..
तुम्हारी नोकरी जारी है….
हम दोनों ने 18 की उम्र में घर छोड़ा
इस लेख ने हमें रुलाया
सीना गर्व और मन ग्लानि से भर आया
इस माटी की खातिर न जाने कितनो ने अपना चिराग गंवाया।।
एक सैनिक की जुबानी