एक सरकारी सेवक की बेमिसाल कर्मठता / MUSAFIR BAITHA
मेरे कार्यालय में एक कर्मी हैं। ग़ज़ब के कर्मठ एवं निष्ठावान। कहिये कि कार्यालय-कार्य के प्रति निष्ठा, कर्मठता एवं उत्साह बरतने में वे अति कर देते हैं। ऐसा भी नहीं है कि वे नया नया हैं, 25 साल की सेवा दे चुके।
उनके इस अद्भुत प्रेरक कैरेक्टर का एक उदाहरण देता हूँ। हाल ही में उन्होंने अपनी एक बेटी की शादी की है। मग़र, शादी के दिनों की अपनी व्यस्तता के बीच भी शादी के एक दिन पहले और शादी के अगले दिन ऑफिस ड्यूटी पर तैनात थे।
ऐसा भी नहीं था कि इन दो दिनों कोई ऑफिशियल बाध्यता रही हो उन्हें ऑफिस करने की। बस, नौकरी के प्रति, अपने कार्यालयीय उत्तरदायित्वों के प्रति उनका दीवानगी भरा इंवॉलमेंट उनसे यह सब करा देता है।
वे सहायक पद पर हैं। मज़ाल की कोई संचिका उनके चलते एक दिन से ज्यादा उनकी टेबल पर रह जाए, आगे न बढ़े। उन्हें उनके सीनियर अफ़सर काम के लिए क्या टोकेंगे, वे ही अफसरों को फाइल आगे करने, जल्दी आगे बढ़ाने के लिए उकसाते रहते हैं।
उनके मुखड़े की बनावट यह है कि जब देखो वे मुस्कुराते दिखते हैं। किन्हीं से उन्हें कभी न ऊँची आवाज़ में बोलते देखा, न सुना। हालाँकि भलमनसाहत का ऐसा विराट स्वभाव कभी कभी तकलीफ़ भी देता है। वे भी इसका फल भोगते हैं। मग़र, स्वभाव तो स्वभाव है!
उनकी कर्मठता का लोग मज़ाक़ भी उड़ाते रहते हैं।