बहक सा जाता हूं।
तेरी आँखों की गहराई में
मैं दब सा जाता हूँ
तेरी हंसी की मिठास में
मैं खो सा जाता हूँ।
तेरे होंठों की नरमी में
मैं बहक सा जाता हूँ
तेरी बाहों में आकर
मैं सिमट सा जाता हूँ।
तुम्हारे पास आने से
मैं चहक सा जाता हूं
तुम्हारी गैरमौजूदगी में
मैं सनक सा जाता हूं।
कैसे करूं मैं तारीफें
तुम्हारी, तुम्हारे सामने
तेरे पास होने पर मैं
बहक सा जाता हूं।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि