Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 1 min read

समय

समय
शुभ समय भोर का,भजन करो जोर का,
जन्म मिला पुनः अब,जागकर सोचिए ।

रात है मृत्यु संकेत,निद्रा देवी गोद लेत,
जागते ही पुनर्जन्म, रोज रोज मानिए।

साधना की सफलता ,जीवन को बदलता ,
नेक कर्म करने का ,भाव आना चाहिए ।

भोर नित जागरण ,रोग दोष निवारण ,
स्वस्थ्य रहने का मंत्र ,रोज भोर जागिए।
———-
निकल रहे दिवस ,मानव रहा विवश ,
समय के बदलाव ,रोक नहीं सकते ।

आज का दिवस वार,कल होगा दूजा वार,
सप्ताह पर सप्ताह ,नाम याद रखते ।

लौटता समय नही ,दिवस नाम है वही ,
जीवन व्यतीत हुआ लक्ष्य न समझते ।

दिवस शुभ अवस्था , रात काली व्यवस्था ,
श्रेष्ठ धरा जन्म लाभ,नेक कर्म करते।

राजेश कौरव सुमित्र

56 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rajesh Kumar Kaurav
View all
You may also like:
*हमें बेटी बचाना है, हमें बेटी पढ़ाना है (मुक्तक)*
*हमें बेटी बचाना है, हमें बेटी पढ़ाना है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
पूछो हर किसी सेआजकल  जिंदगी का सफर
पूछो हर किसी सेआजकल जिंदगी का सफर
पूर्वार्थ
2716.*पूर्णिका*
2716.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तो मेरा नाम नही//
तो मेरा नाम नही//
गुप्तरत्न
"मैं" एहसास ऐ!
Harminder Kaur
आउट करें, गेट आउट करें
आउट करें, गेट आउट करें
Dr MusafiR BaithA
जंग तो दिमाग से जीती जा सकती है......
जंग तो दिमाग से जीती जा सकती है......
shabina. Naaz
सामाजिक कविता: बर्फ पिघलती है तो पिघल जाने दो,
सामाजिक कविता: बर्फ पिघलती है तो पिघल जाने दो,
Rajesh Kumar Arjun
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
बात शक्सियत की
बात शक्सियत की
Mahender Singh
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
कवि रमेशराज
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
दर्द अपना संवार
दर्द अपना संवार
Dr fauzia Naseem shad
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
Ram Krishan Rastogi
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
VINOD CHAUHAN
अवसर
अवसर
Neeraj Agarwal
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
Manoj Mahato
// सुविचार //
// सुविचार //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
चुनावों का चाव
चुनावों का चाव
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
गीत-14-15
गीत-14-15
Dr. Sunita Singh
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
गुस्सा
गुस्सा
Sûrëkhâ Rãthí
"शख्सियत"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
सत्य कुमार प्रेमी
देर हो जाती है अकसर
देर हो जाती है अकसर
Surinder blackpen
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
*साहित्यिक बाज़ार*
*साहित्यिक बाज़ार*
Lokesh Singh
Loading...