एक सच और सोच
शीर्षक – एक सच सोच
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सच तो आज कुछ नहीं है।
बस हम सभी स्वार्थ रखते हैं।
जन्मों के साथ निभानें वाले कहा होते हैं।
बस कुदरत और समय अनमोल कहते हैं।
हां सच अगर दोस्ती और दोस्त निःस्वार्थ होते हैं।
आज जमाने में हम सभी एक-दूसरे से फरेब रखते हैं।
आज कहा हम इंसान मेल एक दूसरे से रखते हैं।
एक सच और एक सोच हम रखते हैं।
अगर सच समझ आए तब राह पर चलते हैं।
हम तुम एक विश्वास और सहयोग करते हैं।
सच हम जीवन में अपने साथ सबके रंग भरते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र