एक शिकायत
वो कहता है
होती है अजर-अमर आत्मा,
ऊर्जा से बना ठोस पुतला
ढल जाता है ऊर्जा ही में।
फिर क्यों…
भावनाओं की ऊर्जा को
बांध दिया उसने
ठोस शरीर के बंधन में?
बहने देता वो
प्रेम की ऊर्जा को
आत्मा की ऊर्जा के साथ।
… काश!!
हो पाता ऐसा कुछ
सुख-दुःख बनते साथी
तरंगो के…
मस्तिष्क से दूरी बना
मन को छुए बिना
पहुँच जाते
आत्मा तक….
मिल जाती ऊर्जा से ऊर्जा
खत्म हो जाता शोक।