*एक व्यक्ति के मर जाने से, कहॉं मरा संसार है (हिंदी गजल)*
एक व्यक्ति के मर जाने से, कहॉं मरा संसार है (हिंदी गजल)
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1)
एक व्यक्ति के मर जाने से कहॉं मरा संसार है
मृतक किंतु यह सोच रहा है, यह जग का संहार है
2)
मरना जीना रोग शोक सब, साधारण-सी बातें
इसमें अचरज क्या है यह तो, घर-घर का व्यवहार है
3)
जैसे और गए हैं जग से, वैसे तुमको जाना
स्वीकारो या मत स्वीकारो, यही जगत का सार है
4)
बड़े-बड़े लोगों को बॉंधा, काल-पाश ने आकर
यम का सबके तन के ऊपर, एकछत्र अधिकार है
5)
बूढ़ी निर्बल देह जब हुई, महाकाल से बोली
मुझे उठा लो अगर धरा से, तो शत-शत आभार है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451