एक लड़की की जिंदगी
प्रिय पाठकगण ! आज मैंने लड़कियों की जिंदगी पर कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं ।आपलोगों को ये पंक्तियाँ कैसी लगी आपसब जरूर बताना।धन्यवाद।
एक लड़की की जिंदगी
एक हल्की-सी रुआँसी मुस्कान के साथ,
इस दुनिया में सपने लेकर आयी थी वह।
देखकर उसे ताने कसे कितनों ने,
कितनों के लिए ही खुशियाँ लायी थी वह।
दुनिया में तो कदम रख ही दी थी उसने,
पर अपने ही घर मे पराई थी वह ।
दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के कारण,
अपनों से ही गयी सतायी थी वह ।
थी तो वह सबसे बड़ी सहोदरों में,
लेकिन कभी बड़ी का हक न पायी थी वह।
जन्म लेने पर पड़े सुनने इतने ताने,
हाय! यहाँ तो खुशियाँ बाँटने आई थी वह ।
भाई लोग सब जाते पढ़ने बड़े स्कूल में,
पर घर के सिवा कुछ न जान पायी थी वह।
फिर भी, कभी न करती वह कोई शिकायत,
चूँकि विधि के विधान को अपनायी थी वह।
कुछ इसी तरह अब युवा हुई वह,
पितृ-पसंद रिश्ते में बँध गई थी वह ।
हाय! वो भी घर न था अपना,
हरदम इशारे पर सबके गयी घुमायी थी वह ।
करती रहती सबकी चाकरी हमेशा ,
स्वयं के लिए न समय बचाई थी वह।
नाते-रिश्तेदार देते हर वक्त ताना उसको ,
कि घर से क्या सीखकर आयी थी वह।
हे खुदा ! ये क्या रीत बनाई तुने,
क्यूँ खुद ही खुद को बिसराई थी वह ।
पूछे खुशबू, क्यूँ दिया दो घर उसको,
जब दोनों के लिए ही पराई थी वह ।
✍️✍️✍️✍️खुश्बू खातून
प्रिय पाठकगण !! लड़कियाँ को प्राचीन काल से ही उपेक्षित किया जा रहा हैं और इनके अधिकारों को भी दबाया जा रहा हैं।जबकि हम सभी जानते है कि समाजऔर देश के विकाश में इनकी भागीदारी अत्यंत आवश्यक हैं। मैंने आज लडकियों की जिंदगी पर कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं । आपलोगों को ये पंक्तियाँ कैसी लगी आपसब जरूर बताना।मेरी यह कविता मध्यकालीन युग में लड़कियों और महिलाओं की स्तिथि दिखाती हैं।प्राचीन काल से ही समाज में लड़कियों की स्तिथि बदतर रही हैं।परन्तु इस समय लड़कियाँ भी लड़को के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही हैं और ये हमारे देशहित के लिए बहुत आवश्यक हैं।