एक महान योद्धा
उसके तन का मकान उम्र के आखिरी पड़ाव पर खंडहर होने लगा था लेकिन उसके मन का मंदिर अनगिनत दीपकों की लौ की झिलमिलाती रोशनियों से जगमगा रहा था। उसकी पवित्र आत्मा को एक प्रकाश पुंज सा आसमान तक ऊंचा उठा रहा था। नाउम्मीदी में उम्मीद की किरण को वह हमेशा ही कहीं न कहीं से तलाश लेता था। वह अच्छे से जानता था कि हर बार की तरह इस बार उसे लाख कोशिशों के बावजूद बचाया नहीं जा सकेगा और वह अब कभी सही सलामत अपने घर वापिस नहीं जा सकेगा लेकिन वह सच में एक महान योद्धा था तभी तो अपने आखिरी समय में हिम्मत न हारते हुए, मुस्कुराते हुए, अभी भी सबका दिल रखते हुए और सबको दुआयें देता हुआ, सबका अभिवादन कर रहा और ले रहा उनसे हमेशा के लिए अंतिम विदाई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001