एक मजदूर
एक कर्मठ और सृजनशील मजदूर नहीं मनाता
मजदूर दिवस
वो लीन रहता है अपने दैनिक कर्मों में निरंतर..
निर्मित कर देता है भवन, बगीचा,
अनेक यंत्र, नहीं करता है षडयंत्र, न राजनीति, वो लगा रहता है सृजन में, धूप में झुलसते..
सपनों की चिंता किये बगैर
अपने बेचैन यर्थाथ से जूझता हुआ..
समर्पित होता रहता है..
अपने संघर्ष के समक्ष..
मन में भरकर..
आकर्षित उम्मीदों का सुंदर परिदृश्य!
जीत जाता है कड़ुवी कठिनाइयों से!
वो प्रफुल्लित हो उठता है..
प्रकृति की उर्वरक सुगंध पाकर, मेहनत में पसीना बहाकर, मिट्टी से सजसँवर कर प्रफुल्लित रहता है उसका अंर्तमन!
वो सजाता जाता है..
अपने श्रम के दुरूह अनुभवों से,
रचनात्मक गलियाँ!
हार नहीं मानता परिस्थितियों से..
जोतता जाता है अपने पसीने से..
देश के उन्नत भविष्य के लिए..
सार्थक फसलों का खेत!
भले उसको आश्रय देती रहे..
किनारे की धरती पर पड़ी रेत!
मिलाकर संवेदनशील और कर्मठ
विचारों की ऊर्जा..
सृजित करता जाता है..
सुविकसित भाव से वो नव- परिवेश!
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ