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14 Jan 2023 · 1 min read

एक बार लौट आओ..

सुनो, अब मुझमें और हिम्मत नहीं बची
कमजोर हो गया हूं
अब और बर्दाश्त भी नही कर सकता
जिंदगी का ये धीमा होता सफ़र
काट रहा है मुझे
अपने पराए सब मिलने आ रहे हैं
और कहने लगे हैं, जाने कौन है
जिसे देखने को अब भी जीवंत है इनकी पथराई आंखे
सच तो है इन आंखों को अब भी इंतजार हैं
तुम्हारे लौट आने का

और सुनो
इस बार जो आओ तुम
तो लौट कर मत जाना
मेरी जान निकलने तक तो रुक जाना
बस इतना चाहता हुं मैं
उन सब लम्हों के हिस्से के बदलें
जिसमें तुम्हारे जाने के बाद भी तुम ही रही
जब भी दुहराता है ह्रदय मेरा तुम्हें
बस इतना ही सोचता हूं
कितनी विवशता थी
तुम नदी के दूसरी ओर थी
और तैरने की हिम्मत मुझमें तब भी नहीं थी
तुमने कभी भी मुझे अपने सुख दुःख में शरीक नहीं किया
न ही कभी अपनी लाचारी बताई
पर जितना मैंने तुम्हारी आंखो मे देखा
इतना तो जरूर महसूस किया
जैसे मैं अधूरा था , तुम भी पूरी न हुई
इस आखिरी यात्रा पर जाने से भी पहले
क्या तुम विदा करने आ सकती नहीं…

Language: Hindi
190 Views
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