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11 Jul 2023 · 1 min read

साँप और इंसान

साँप और इंसान

साँपों की बस्ती में देखा, नाग विषैले भाग रहे ।
घुस आया इंसान एक, सब डर के मारे जाग रहे । ।

डरता ना इंसान, साँप अब इंसानों से डरता है।
काटे चाहे कोई किसी को, किन्तु साँप ही मरता है ।।

चाहे विष हो या कालापन, या हो टेढ़ी-मेढ़ी चाल । इंसानों से जीत न पाते, साँपों को बस यही मलाल ।।

विष को खाना विष को पीना, और विषवमन करते जीना ।
छोड़ दिया है साँपों ने अब इंसानी फितरत से जीना ।।

लिए साँप के फन हाथों में, फिरते हैं ये लोग महान ।
इस डर से ये साँप मर रहे, कहीं काट ना ले इंसान ।।

साँप सपेरा जादू टोना, ये सब बात पुरानी है ।
अब इंसानों की फितरत से, साँपों में हैरानी है ।।

साँप काटते नहीं जमी तक, पड़े पूँछ पर पाँव नहीं । कौन कहाँ कब कैसे काटे, इंसानों का ठाँव नहीं ।।

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