Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2023 · 4 min read

यति यतनलाल

यति यतनलाल

यति यतनलाल छत्तीसगढ़ अंचल में राष्ट्रीय चेतना की मशाल प्रज्ज्वलित करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे। उनका जन्म राजस्थान के बीकानेर शहर के एक अस्पताल में सन् 1894 में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इनके माता-पिता ने इनका त्याग कर दिया था। संयोगवश उस समय जैन धर्म के एक महान संत गणी विवेकवर्धन बीकानेर में थे। उन्होंने उस शिशु को गोद ले लिया उसका पुत्रवत पालन-पोषण रायपुर में किया। गणी जी ने शिशु का नाम यतनलाल रखा।
यति यतनलाल बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। स्वाध्याय से ही उन्होंने भाषा, साहित्य और संस्कृति का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। जब वे 19 वर्ष के हुए तो गणी विवेकवर्धन ने उन्हें यति की दीक्षा दी। उस दिन से लोग उन्हें यति यतनलाल के नाम से जानने लगे। दीक्षा के बाद यतनलाल की दिनचर्या अत्यंत ही संयमित और नियमित हो गई।
सन् 1919 में यति यतनलाल राजनीति से जुड़ गए। यह वह समय था जब महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में लाखों देशभक्त नौजवान स्वतंत्रता के यज्ञ में अपनी आहुति देने आगे आ रहे थे। सन् 1921 में यतनलाल ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। सन् 1922 ई. में उन्हें रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी का सदस्य तथा सन् 1924-25 ई. में अध्यक्ष चुना गया।
यति यतनलाल रचनात्मक कार्यों के माध्यम से अंचल में जन-जागरण के लिए निरंतर प्रयासरत रहे और दलित उत्थान व उन्हें संगठित करने के उद्देश्य से गाँव-गाँव में घूमकर हीन भावना दूर करने के प्रयास किए। सत्साहित्य के प्रचार तथा लोगों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति विकसित करने के लिए यति यतनलाल जी ने रायपुर में महावीर पुस्तकालय और महासमुंद में भगत पुस्तकालय की स्थापना की। षीघ्र ही ये पुस्तकालय स्वतंत्रता सेनानियों, स्वयंसेवकों तथा नेताओं के मिलन केंद्र बन गए। यहीं पर उनका संपर्क पं. रविशंकर शुक्ल, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठा. प्यारेलाल सिंह, महंत लक्ष्मी नारायण दास आदि स्वतंत्रता सेनानियों से हुआ।
सन् 1922 ई. में रायपुर जिला राजनीतिक परिषद के आयोजन में जिलाधीश तथा पुलिस कप्तान के बिना प्रवेश-पत्र के जबरन प्रवेश का विरोध करते हुए यति यतनलाल अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार किए गए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के आव्हान पर उन्होंने अपने सैकडों सहयोगियों के साथ शराब की दुकानों पर धरने दिए। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार तथा स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार-प्रसार का कार्य किया। वे गाँवों में घूम-घूमकर स्वदेशी का प्रचार करते थे।
यति यतनलाल ने सन् 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। महासमुन्द (छत्तीसगढ़) के तमोरा क्षेत्र में जंगल सत्याग्रह का सफल संचालन यति यतनलाल और शंकरराव गनौदवाले ने ही किया था। इस हेतु उन्हें 25 अगस्त सन् 1930 ई. को उन्हें गिरफ्तार कर एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। किंतु गांधी-इरविन समझौते के कारण 11 मार्च सन् 1931 ई. को वे रिहा कर दिए गए। जेल से रिहा होने के बाद यति यतन लाल का सन् 1931 ई. में कराँची (अब पाकिस्तान में स्थित) में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ से उनका चयन किया गया क्योंकि वे एक श्रेष्ठ वक्ता, लेखक तथा समाज सुधारक थे।
सन् 1934 ई. में जब रायपुर में हैजा की महामारी फैली तो यति यतनलाल अपने प्राणों की परवाह किए बिना लगातार रोगियों की सेवा में लगे रहे। वे गाँव-गाँव, गली-गली पहुंचकर लोगों को दवाइयाँ बाँटते। वे हरिजन उद्धार आंदोलन के प्रचार में भी सक्रिय थे। महात्मा गांधीजी के निर्देशानुसार उन्होंने ग्रामोद्योग, दलितोद्धार, बेमेल विवाह, मृतक-भोज, बलिप्रथा तथा नशाखोरी का विरोध और हिंदू-मुस्लिम एकता की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए।
फरवरी सन् 1939 को त्रिपुरी में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने की थी, में भाग लेने के लिए यति यतनलाल भी गए थे। सन् 1940 में तत्कालीन रायपुर जिले में भयंकर अकाल पड़ा था। उस समय यति यतनलाल जी ने तत्कालीन महासमुन्द तहसील (अब जिला) के पचास गाँवों का दौरा करके जिला कांगे्रस कमेटी को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। सन् 1940 ई. में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के आह्वान पर यति यतनलाल ने क्षेत्र में व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाया और गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें चार माह की सजा सुनाई गई।
सन् 1941 ई. में अपने पालक और गुरु गणी विवेकवर्धन जी के अस्वस्थ हो जाने पर यति यतनलाल ने स्वयं को स्वाधीनता आंदोलन से अलग कर लिया और उनके अंतिम समय तक उनकी जी-जान से सेवा की। वे अक्सर कहा करते थे कि ‘‘मैं आज जो कुछ भी हूँ सिर्फ अपने सद्गुरु के कारण ही हूँ।’’
सन् 1942 ई. में यति यतनलाल को भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण फिर से गिरफ्तार किया गया। जेल से छूटने के पष्चात वे सन् 1946 से 1949 ई. तक वे रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई बार जेल गए। भारत की आजादी के बाद यति यतनलाल जी की राजनीति में रूचि कम होती गई और वे पूज्य गणी जी के महासमुंद स्थित आश्रम में रहकर दीन-दुःखियों की सेवा में लग गए। उन्होंने इस आश्रम में सन् 1976 ई. में एक बड़े अस्पताल की भी स्थापना की।
यति यतनलाल को कई बार संसद की सदस्यता का प्रस्ताव मिला जिसे उन्होंने विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। उन्होंने देश के स्वाधीनता सेनानियों को सरकार की ओर से मिलने वाले सम्मान निधि को अस्वीकार कर दिया था।
4 अगस्त सन् 1976 ई. को लम्बी बीमारी के बाद यति यतनलाल का निधन हो गया।
छत्तीसगढ़ अंचल में अहिंसा के प्रचार-प्रसार में अविस्मरणीय योगदान को दृष्टिगत रखते हुए नवीन राज्य की स्थापना के बाद छत्तीसगढ शासन ने उनकी स्मृति में अहिंसा और गौ-रक्षा के क्षेत्र में राज्य स्तरीय यति यतनलाल सम्मान स्थापित किया है।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहानी। सेवानिवृति
कहानी। सेवानिवृति
मधुसूदन गौतम
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
कवि रमेशराज
मोक्ष
मोक्ष
Pratibha Pandey
किस कदर है व्याकुल
किस कदर है व्याकुल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
Manju sagar
पहले एक बात कही जाती थी
पहले एक बात कही जाती थी
DrLakshman Jha Parimal
एक अधूरे सफ़र के
एक अधूरे सफ़र के
हिमांशु Kulshrestha
गुमनाम राही
गुमनाम राही
AMRESH KUMAR VERMA
पूस की रात
पूस की रात
Atul "Krishn"
लव यू इंडिया
लव यू इंडिया
Kanchan Khanna
#एक_कविता
#एक_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
मुझको उनसे क्या मतलब है
मुझको उनसे क्या मतलब है
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-516💐
💐प्रेम कौतुक-516💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हे पैमाना पुराना
हे पैमाना पुराना
Swami Ganganiya
कड़वाहट के मूल में,
कड़वाहट के मूल में,
sushil sarna
2831. *पूर्णिका*
2831. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
// श्री राम मंत्र //
// श्री राम मंत्र //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
दिल -ए- ज़िंदा
दिल -ए- ज़िंदा
Shyam Sundar Subramanian
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
ओनिका सेतिया 'अनु '
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
Taj Mohammad
सावन मंजूषा
सावन मंजूषा
Arti Bhadauria
मा भारती को नमन
मा भारती को नमन
Bodhisatva kastooriya
* बेटियां *
* बेटियां *
surenderpal vaidya
दोहे - झटपट
दोहे - झटपट
Mahender Singh
शेर अर्ज किया है
शेर अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
Shweta Soni
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
Loading...