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11 Jun 2023 · 1 min read

एक पेड़ की भांति

मेरी आवाज इतनी तेज है और
तुम इतने करीब कि
तुम्हारे सिर से होकर गुजर रही
है
तुम न कुछ सुन पा रहे हो
न मुझे देख पा रहे हो
न कुछ समझ पा रहे हो
न ही कुछ महसूस कर पा रहे हो
तुम तो एक पेड़ की भांति
अपनी जड़ों की बाहें फैलाये
जमीन की मिट्टी की गर्त को
पकड़े इतनी मजबूती से खड़े हो कि
हल्की फुल्की
रूई के फाये सी बहती हवायें तो क्या
तेज आंधियां भी तुम्हारा
कुछ नहीं बिगाड़ पा रही
तुम्हें हिला नहीं पा रही
तुम्हें उखाड़ नहीं पा रही।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
143 Views
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