Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 2 min read

एक पुष्प

स्वर्ग के देवियों व देवताओं का, अमिट अभिनंदन बन जाता हूॅं।
किन्तु पृथ्वी लोक में आते ही, मात्र एक मनोरंजन बन जाता हूॅं।
मैं तो केवल एक पुष्प मात्र हूॅं, कभी यह बात भी भूल जाता हूॅं।
तभी दुविधा व सुविधा के मध्य, मैं कई बार यूॅं ही झूल जाता हूॅं।

कभी हृदय की निश्छलता से, मैं वास्तविक दर्पण बन जाता हूॅं।
कभी भावनाओं से जुड़ते हुए, एक विनीत अर्पण बन जाता हूॅं।
कभी बच्चों के संग में रहकर, उन्हें नई बात सिखाया करता हूॅं।
समय न रहे कभी एक जैसा, ये सत्य सबको बताया करता हूॅं।

कभी प्रेमी के हाथों में रहकर, प्रेम के प्रसंग को आगे बढ़ाता हूॅं।
कभी प्रेमिका की हामी बनकर, हर प्रेम को अमर कर जाता हूॅं।
कभी दोषी के हाथों से होकर, क्षमा की याचना करने आता हूॅं।
कभी ईश्वर की पूजा थाली में, मन से आराधना करने आता हूॅं।

कभी धागे की लड़ियों में बॅंधकर, एक लम्बी माला बन जाता हूॅं।
कभी टहनियों में लटकते हुए, समूची कायनात को महकाता हूॅं।
कभी थालियों में सजते हुए, अतिथियों का सम्मान कर पाता हूॅं।
कभी फूलों की कई किस्में बनकर, मैं पूरे गुच्छे में सज जाता हूॅं।

मैं तो मन से दुखी हो जाता हूॅं, जब-जब डाली से तोड़ा जाता हूॅं।
गहरी पीड़ा को महसूस करता हूॅं, जैसे ही पैरों से रौंदा जाता हूॅं।
जब मालाऍं उछाली जाती हैं, तब तो मैं गुस्से से हिल जाता हूॅं।
जो डालियाँ काटी जाती हैं, तो मैं गहरे विषाद से मिल जाता हूॅं।

मैं इस प्रकृति का उपकार हूॅं, हर समारोह की शोभा बढ़ाता हूॅं।
जन्म, सगाई, विवाह और त्यौहारों में, बहुतायत बाँचा जाता हूॅं।
यहाँ अवसर चाहे हो कोई भी, मैं पूरा साथ सभी से निभाता हूॅं।
मैं तो शोकाकुल घड़ियों में भी, शव के इर्द-गिर्द बिछ जाता हूॅं।

बुरा हो या अच्छा, समय बीतता है, दोनों को साथ ले आता हूॅं।
आज भी तो कल से सीखता है, यह सन्देश सबको सुनाता हूॅं।
कोई हारता कोई जीतता है, पुनः प्रयास की प्रेरणा दे जाता हूॅं।
बेजान वनस्पति होते हुए भी, सर्वस्व प्राणवायु नित बहाता हूॅं।

2 Likes · 89 Views
Books from हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
View all

You may also like these posts

*हिंदी दिवस मनावन का  मिला नेक ईनाम*
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गजल
गजल
Sushma Singh
■ एक महीन सच्चाई।।
■ एक महीन सच्चाई।।
*प्रणय*
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
देखो खड़ी ढलान
देखो खड़ी ढलान
RAMESH SHARMA
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
सत्याग्रह और उग्रता
सत्याग्रह और उग्रता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"अग्निपथ के राही"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
"I’m now where I only want to associate myself with grown p
पूर्वार्थ
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
जीवन दर्शन
जीवन दर्शन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
दोहे
दोहे
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
जय जोहार
जय जोहार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
फिर सुखद संसार होगा...
फिर सुखद संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कर्मा
कर्मा
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
कहते हैं  की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
कहते हैं की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
Ashwini sharma
कभी-कभी
कभी-कभी
Ragini Kumari
*विषमता*
*विषमता*
Pallavi Mishra
*वेद का ज्ञान मनुष्य-मात्र के लिए: स्वामी अखिलानंद सरस्वती*
*वेद का ज्ञान मनुष्य-मात्र के लिए: स्वामी अखिलानंद सरस्वती*
Ravi Prakash
नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है
नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है
DrLakshman Jha Parimal
नववर्ष।
नववर्ष।
Manisha Manjari
** चीड़ के प्रसून **
** चीड़ के प्रसून **
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
हिंदुस्तान के लाल
हिंदुस्तान के लाल
Aman Kumar Holy
ବିଶ୍ୱାସରେ ବିଷ
ବିଶ୍ୱାସରେ ବିଷ
Bidyadhar Mantry
सत्य असत्य से हारा नहीं है
सत्य असत्य से हारा नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
SPK Sachin Lodhi
Loading...