एक पहल नशा-मुक्ति की ओर
धुम्रपान ना करों,ना पियो तुम शराब
इससे होता हैं बाबू-भैया जीवन भी ख़राब
यही है हम सब की मत
ना लगाओ बापू ऐसी-वैसी कोई लत
इन सब से होती है बहुत बड़ी बिमारी
अभी देखी नहीं है बापू हमने ये दुनिया दारी
तुम्हारे बिना कैसे संभालूंगा मै खुद को
कैसे उठाऊंगा मैं तेरी दुनिया की ये बोझ सारी
अभी तो छोटी-छोटी हैं मेरी हथेली
जीवन की हो तुम ही मेरे सखा-सहेली
मैं अकेला भला क्या करूंगा
फोड़ भी तो ना सकता हूं मैं अकेले चना
धुम्रपान ना करों,ना पियो तुम शराब
इससे होता हैं बाबू-भैया जीवन ख़राब
यही है घर-परिवार की मत
ना लगाओ तुम ऐसी-वैसी कोई लत
खैनी , तंबाकू पर करो ना बापू खुद को काबू
तेरे संग होने से, मक्का का भुजा भी लगें हैं मोहे मेवा-काजू
सिग्रेट,बिड़ी, शराब छोड़कर बनो बापू मेरे लिए तुम एक नवाब
तुमसे है मेरी दुनिया, तुम ही हो मेरी आवाज़
मत रोपों ऐसे बीज, जिसपे फूल नहीं, सिर्फ कांटे निकले
ये दिन जो ढल जाएगा, दिखेंगा हर तरफ
अंधेरे-ही-अंधेरे
मैं अकेला भला क्या करूंगा
अभी तो चला भी ना सकता हूं तेरी ये दुनिया
धुम्रपान ना करों,ना पियो तुम शराब
इससे होता हैं बाबू-भैया जीवन ख़राब
यही है हम सब की मत
ना लगाओ तुम ऐसी-वैसी कोई लत
कौन सा गम हैं बापू तेरे अंदर
क्यों शौक से भरते हो नशा निरंतर
ये नशा ले सकती हैं किसी का भी जान
इसे हराकर बचा लो ना बापू अपना घर-परिवार
तेरे संग तो आधी रोटी भी हैं हमें मंजूर
दौलत पे नहीं हम को हैं तुम पे गुरूर
देना इस नशा मुक्ति में बापू हमें अपना साथ जरूर
मानते हैं हम तुम्हें अपना भगवान
बनों बापू तुम भी एक अच्छा इंसान
बार-बार नहीं मिलता बापू जन्म हमें
रित यहीं है ले-दो सबको मान-सम्मान
मैं अकेला भला क्या कर सकता हूं
फोड़ भी तो ना सकता हूं मैं अकेला चना
सबको समझा भी तो ना सकता हूं मैं अकेला
धुम्रपान ना करों,ना पियो तुम शराब
इससे होता हैं बाबू-भैया जीवन ख़राब
यही है हम सब की मत
ना लगाओ तुम ऐसी-वैसी कोई लत
एक पहल हमारी भी
दे एक-दूसरे के ऐसे साथ
कि ना छूटे किसी का किसी से हाथ
नीतू साह(हुसेना बंगरा)सिवान-बिहार