एक पल को न सुकून है दिल को।
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मिलाकर नज़रें कमाल कर गए हो।
क्या बताएं तुम मेरा कैसा हाल कर गए हो।।
एक पल को न सुकून है दिल को।
मेरे अन्दर तुम अपना यूं ख्याल भर गए हो।।
तसवुर्र में बस तुम्हारा ही ज़िक्र है।
न जानें आंखें से तुम कैसी बात कर गए हो।।
तुम्हें देखता हूं तो ऐसा लगता है।
तुम मेरी हर शब का एक चांद बन गए हो।।
पतझड़ में तुम बहार से लगते हो।
सेहरा में तुम आब का आसमान बन गए हो।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ