एक ना एक दिन ये तमाशा होना ही था
एक ना एक दिन ये तमाशा होना ही था
उनको हमसे… हमें उन से गिला होना ही था…..
इतने बिछाये राह में कांटे दुश्मनों ने
फिर तो मेरा रास्ता उन से जुदा होना ही था
मुश्किलों से अब कोई फर्क़ पढता ही नहीं
वास्ता पढ़ना ही था इनसे सामना होना ही था
जितने ग़म उतना सब्र और जितना सब्र उतने ग़म
दर्द की हद को आखिर खुद दवा होना ही था
रात की तारीकियों में जब पुकारा
खुदा को हमने
सिलसिला खुशियो का फिर क्यूँ ना रवां होना ही था……ShabinaZ